इस आर्टिकल में आप साडी के नाम हिंदी और अंग्रेजी में उनकी पहचान और प्रकार के साथ जानेगे।
कुछ लोग जब साडी खरीदने जाते है तो उन्हें साडी तो पसंद होती है लेकिन उसका नाम पता नहीं होता जिसके कारण वह दूकान पर जा कर उस साडी का नाम नहीं बता पाते है और अपनी पसंद की साडी खरीदने में भ्रमित होते है।
यदि आपके साथ भी ऐसा ही होता है तो आप मेरी इस पोस्ट से सभी साड़ियों के नाम और उनकी पहचान कर सकते है।
तो चलिए जानते है साडी के नाम और उनकी पहचान।
कांजीवरम-साड़ी ( Kanjeevaram-saree )
![कांजीवरम-साड़ी](https://pushparecipes.com/wp-content/uploads/2023/07/कांजीवरम-साड़ी.jpg)
कांजीवरम साड़ी दक्षिण भारत में सबसे ज्यादा पहने जाने वाली साडी है इसकी डिजायन सबसे अलग है जो मुगल को प्रेरित करती है इन साड़ियों में दिखने वाले जटिल इंटरलीनिंग फ्लोरल, फोलेट मोटिफ्स और ऊपर की और दिखने वाली पत्ते वाली डिजायन को झालर कहते है।
कांजीवरम साड़ी को एक और नाम से जाना जाता है जिसे कांचीवरम कहते है इसे डिजायन देने के लिए सुनहरे धांगो का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे यह दिखने में बनारसी साड़ी जैसी लगती है लेकिन कांजीवरम और बनारसी दोनों ही अलग अलग है।
कांथा-साड़ी ( Kantha sari )
![कांथा-साड़ी](https://pushparecipes.com/wp-content/uploads/2023/07/कांथा-साड़ी.jpg)
कांथा-साड़ी हाथ से बनाई गई साडी है जिसे कुशन का पतला टुकड़ा बनाने के लिए हाथ से सिलाई की जाती है।
यह साड़ी भारतीय महाद्वीप बांग्ला क्षेत्र में महिलाओ द्वारा पारम्परिक रूप से पहनी जाती है इसलिए यह दिखने में सबसे अलग होती है।
चंदेरी-साड़ी ( Chanderi sari )
![चंदेरी-साड़ी](https://pushparecipes.com/wp-content/uploads/2023/07/चंदेरी-साड़ी.jpg)
चंदेरी साडी भारत की सर्वश्रेष्ट साड़ी में से है यह साड़ी अपनी रेशम और भव्य कढ़ाई के लिए जानी जाती है।
चंदेरी साडी पर पारम्परिक सिक्के, पुष्प कला, मोर, ज्यामिति डिजायन और सोने चांदी के ब्रोकेड या जरी वाली के लिए जानी जाती है।
जामदानी-साड़ी ( Jamdani-sari )
![जामदानी-साड़ी](https://pushparecipes.com/wp-content/uploads/2023/07/जामदानी-साड़ी.jpg)
जामदानी साड़ी अपने अंदर समाये हुए बहुत से रंगो के लिए जानी जाती है, साड़ी की बुनाई के साथ ही डिजायन भी तैयार होती जाती है।
इस साड़ी का वजन बहुत की हलका होता है इसलिए लोगो द्वारा इसे बहुत पसंद किया जाता है।
टसर -साड़ी ( Tussar sari )
टसर साड़ी बनाने में तसर के धाँगे का उपयोग किया जाता है उत्पादन केंद्र पर बुनकरों को एक साड़ी बनाने में तीन दिन का समय लग जाता है इस साड़ी का डिजायन सबसे अलग और आकर्षक होता है।
टसर साड़ी बांग्लादेश में माँ दुर्गा की पूजा में विशेष रूप से पहनी जाती है।
नव्वारी-पातल-साड़ी ( Navwari patal sari )
![नव्वारी-पातल-साड़ी](https://pushparecipes.com/wp-content/uploads/2023/07/ऊवारी-पातल-साड़ी.jpg)
पटोला-साड़ी ( Patola sari )
![पटोला-साड़ी](https://pushparecipes.com/wp-content/uploads/2023/07/पटोला-साड़ी.jpg)
पटोला साड़ी बनाने की विधि सबसे अलग है इसलिए इसकी कीमत भी बनाने की विधि के कारण महंगी मानी जाती है।
इस साड़ी को डिजायन देने के लिए रेशमी धांगो को कर्नाटक और पच्शिम बंगाल से ख़रीदा जाता है। इन साड़ी में बुनाई के पहले ही निर्धारित जगह को गांठकर रंग दिया जाता है। पटोला गुजराती एक प्रकार की रेशमी साड़ी होती है।
पैठणी-साडी ( Paithani saree )
![पैठणी-साडी](https://pushparecipes.com/wp-content/uploads/2023/07/पैठणी-साडी.jpg)
पठानी साड़ी रेशम से बनी होती है और इसमें कढ़ाई और बुनाई दोनों ही हाथ से की जाती है, जिसमे तिरछी डिजायन में मोर और फूल बनाये जाते है।
ये साड़िया त्यौहार, शादी आदि जैसे खास अवशर पर पहनी जाती है इससे पहनने के बाद हर महिला बहुत ही सुन्दर लगती है।
इस साड़ी को बनाने में कारीगरों को 2 महीने तक लग जाते है इसलिए इसकी कीमत अधिक होती है।
फुलकारी-साड़ी ( Phulkari-sari )
![फुलकारी-साड़ी](https://pushparecipes.com/wp-content/uploads/2023/07/फुलकारी-साड़ी.jpg)
इस तरह की साड़ी पंजाब और भारत के कई हिस्सों में पसंद किया जाता है, फुलकारी की कला ईराक से आई है ईराक में इसे गुलकारी के नाम से जाना है।
पहले फुलकारी साड़ी को हाथ से बनाया जाता था लेकिन अब इसे मशीन से भी बनाया जा सकता है।
बंधेज-साड़ी ( Bandhej sari )
![बंधेज-साड़ी](https://pushparecipes.com/wp-content/uploads/2023/07/बंधेज-साड़ी.jpg)
बंधेज साड़ी कई रंग और कई डिजायन में मिल जाती है इस साडी का प्रिंट सभी साड़ियों से हट कर होता है।
इस साड़ी की डिजायन और वैराइटी जो गुजरात से राजिस्थान और उत्तर प्रदेश के इलाको में पसंद किया जाता है।
बनारसी-साड़ी ( Banarasi sari )
![बनारसी-साड़ी](https://pushparecipes.com/wp-content/uploads/2023/07/बनारसी-साड़ी.jpg)
बनारसी यानी वाराणसी में बनी साड़ी है बनारसी साड़ी भी महिलाओ द्वारा बहुत पसंद की जाती है इसकी डिजायन दिखने में भारी लेकिन पुरी साड़ी वजन में बिल्कुल कम होती है।
बनारसी साड़ी 5 प्रकार की होती है जिसमे शुध्द बनारसी में उच्च गुणवत्ता वाले रेशम, असली सोने और चांदी की जरी से बनाई जाती है।
असली बनारसी साड़ी को हाथ से कढ़ाई करके बनाया जाता है और मशीन से बनी बनारसी साड़ी में असली सोनी चाँदी की जरी नहीं लगाई जाती है।
बालूछरी-साड़ी ( Sandal sari )
![बालूछरी-साड़ी](https://pushparecipes.com/wp-content/uploads/2023/07/बालूछरी-साड़.jpg)
बालूछरी साड़ी भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर में प्रसिद्ध साड़ी है इस साडी को सबसे ज्यादा रामायण और महाभारत के अलावा कही जगह देखने में मिलती है।
बालूचरी साड़ी का निर्माण पश्चिम बंगाल के विष्णुपुर और मुर्शिदाबाद में बनती है।
बोमकई-साड़ी ( Bomkai-sari )
![बोमकई-साड़ी](https://pushparecipes.com/wp-content/uploads/2023/07/बोमकई-साड़ी.jpg)
यह साड़ी सोनपुर में बनाई जाती है बनाने के लिए बारीक एम्ब्रॉएडरी और थ्रेडवर्क और इकत एक साथ इस्तेमाल किया जाता है।
इस साड़ी पर कॉटन और सिल्वर दोनों तरह की साड़ियों पर वर्क किया जाता है, यह साड़ी सिंपल और लाइटवर्क से फेस्टिव और पार्टीवेयर दोनों तरह के डिज़ाइन में बनाई जाती है।
महेश्वरी-साड़ी ( Maheshwari sari )
![महेश्वरी-साड़ी](https://pushparecipes.com/wp-content/uploads/2023/07/महेश्वरी-साड़ी.jpg)
महेश्वरी साड़ी मुख्य रूप से जमीन में गड़ी हथकरखो से बनाई जाती है लेकिन इसे अब फेरम लूम पर भी बनाया जाता है।
इस तरह की साड़ी को आप शादी, पार्टी और त्यौहार आदि में पहन कर सबसे अलग दिखेंगे। इस साड़ी को महिलाओ द्वारा त्यौहार पर पहिनने के लिए अधिक पसंद किया जाता है।
संबलपुरी-साड़ी ( Sambalpuri sari )
![संबलपुरी-साड़ी](https://pushparecipes.com/wp-content/uploads/2023/07/संबलपुरी-साड़ी.jpg)
संबलपुरी साड़ी को बुनाई से पहले रंगा जाता है इस साड़ी का उत्पादन संबलपुर, बरगढ़, सोनपुर, बौद्ध और बलांगीर जिले में किया जाता है।
इस साड़ी को पारम्परिक रूप से हाथ से बनाई जाती है, यह दिखने में सबसे अलग होती है।
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