आज कंप्यूटर मानव जीवन का अभिन्न अंग बन गया है, किसी क्षेत्र में दृष्टिपात करे, हर कार्य कम्प्यूटर द्वारा संचालित हो रहा है। कम्प्यूटर के ऊपर हमारी निर्भरता बढ़ती चली जा रही है।
अतः जीवन में इसकी इतनी अधिक आवश्यकता को देखते हुए कम्प्यूटर शिक्षा का एक अनिवार्य विषय बन चूका है।
तो चलिए कम्प्यूटर की जानकारी समझते है
कम्प्यूटर का परिचय
कम्प्यूटर एक तीव्र शत प्रतिशत सही परिणाम देने वाला इलेक्ट्रॉनिक मशीन है, जो संग्रह किए गए डाटा पर या यूजर से प्राप्त डाटा की बीजगणतीय एवं तार्किक क्रिया कर आउटपुट प्रदान करती है।
कम्प्यूटर शब्द कम्प्यूट से बना है जिसका अर्थ है ‘गणना’ करना अतः कम्प्यूट का अर्थ है गणना करने वाली मशीन।
पहले के समय में केवल गणना करने लिए Computer का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन बदलते समय के साथ इसके साथ अन्य डिवाइस को जोड़ा गया जैसे जैसे यह काम करने में अधिक बेहतर होता गया।
कम्प्यूटर निम्न बिन्दुओ पर मुख्य रूप से कार्य करता है –
- उपयोगकर्ता इनपुट डिवाइस के द्वारा Computer को निर्देश देता है।
- Computer उपयोगकर्ता के द्वारा निर्देश को प्रोसेस करता है।
- प्रोग्राम के अनुसार निर्देश प्रोसेस होने के बाद आउटपुट देता है।
कम्प्यूटर का इतिहास
आवश्यकता अविष्कार की जननी है, आज Computer इसी आश्यकता का परिणाम है। मनुष्य विकास के मार्ग में प्राचीन काल से ही प्रत्यनरत रहा है। इसी का नतीजा है आज का कम्प्यूटर।
कंप्यूटर के विकास कर्म को तीन भागो में बांटा जा सकता है।
- डार्क ऐज –
इस समय के सभी कम्प्यूटर Electro- mechanical थे। डार्क ऐज का इतिहास अबेकस से शुरू हुआ। इससे पहले मनुष्य गणना के लिए छोटे-छोटे पत्थरो या धातुओं पर खरोंच करके गणना का कार्य करते थे।
2. अबेकस –
अबेकस गणना की प्राचीनतम मशीन मानी जाती है ,जो की चीन में ३००० बर्ष पहले बनाई गई थी। अबेकस को आज भी सोबियत संघ जापान एवं भारत में प्राथमिक शिक्षा के लिए काम में लिया जा रहा है
एनालॉग मशीन एवं नेपियर बोन्स
अबेकस के बाद सन 1617 में स्कॉटलैंड के एक गणतिज्ञ जॉन नैपियर ने हड्रिडयों की छड़ो प्रयोग कर एक ऐसी मशीन का निर्माण किया जो कार्य भी कर सकती थी। इसलिए इस मशीन का नाम नैपियर बोनस रखा गया।
ब्लेज पास्कल का यांत्रिक कैलकुलेटर
सन 1642 में ब्लेज पास्कल यांत्रिक मशीन बनाई जो जोड़ बाकी का कार्य कर सकती थी। पास्कल ने 18 वर्ष की उम्र में अपने पिता को Tax Calculation की मदद के लिए इस मशीन को बनाया।
पास्कल की इस एंडिग मशीन को पास्कलाइन ने इस मशीन में कई गियरों पहियों का उपयोग किया। प्रत्येक पहिए में 10 खण्ड थे जैसे वर्तमान के स्कूटर और कारो में किलोमीटर मापने के लिए माइलो मीटर काम करते है।
यह मशीन खूब प्रचलित हुए। बाद में जर्मन वैज्ञानिक गॉटफ्रेड लाइब्नीज ने 1671 में पास्कलाइन में कई सुधार करके इसका विकसित रूप तैयार किया जो जोड़ने तथा घटाने के साथ गुणा और भाग के कार्य भी करने लगी। इस रेकनिंग मशीन कहा गया।
चालर्स बैलेज का डिफ़रेंस इंजन व वैनलिटिकल इंजन
चालर्स बैबेज कम्प्यूटर इतिहास में महान व्यक्ति थे उन्होंने डिफ़रेंस इंजन बनाया। चालर्स बाइबल को आधुनिक Computer का जन्मदाता माना जाता है, क्योकि सर्वप्रथम बैबेज ने ही Computer आविष्कार की महत्पूर्ण परिकल्पना की थी। इस मशीन के द्वारा सारणियों का निर्माण किया जाता था।
1833 में बैबेज ने एक अन्य मशीन का आविष्कार किया जिसे एनलिटीकल इंजन कहा गया। यह मशीन दशमलव के 50 वे स्थान तक काम कर सकती थी तथा इस प्रकार की 1000 तक संख्याए इसमें संग्रहित की जा सकती थी।
एनलिटीकल इंजन के गुण
- इसमें इनपुट उपकरण होते थे जिसकी सहायता के निर्देश व डाटा को पढ़ा जा सकता था।
- इसमें संग्रहण के लिए मेमोटि का प्रयोग किया गया।
- इसमें आउटपुट उपकरण होते थे जिसकी सहायता से परिणाम प्रिंट किया जाता था।
इस प्रकार बैबेज द्वारा किया गया कार्य महान था हालांकि हमें आज के कम्प्यूटर का निर्माण करने में शताब्दी लगी लेकिन आज का मॉडर्न कम्प्यूटर चालर्स बैबेज का सपना था।
जैकार्ड की लूम मशीन
जोसेफ मेरी जैकार्ड फ़्रांस का एक बुनकर और टैक्सटाइल इंजीनियर था.सन 1801 में उसने एक ऐसी बुनाई मशीन का निर्माण किया जिसमे बुनाई की डिजाइन डालने में छिद्र किए हुए कार्डो का उपयोग किया जाता था। ये कार्ड एक अंतहीन शृंखला में एक के बाद एक बार बार आते रहते थे इसलिए वह कार्डो पर किए हुए छिन्द्रो के अनुसार बुनाई की डिजाइन डालने में समर्थ हो जाता था। दूसरे शब्दों में हम कह सकते है कि बुनाई की डिजाइन का इनपुट उन कार्डो पर था।
चालर्स बैबेज के इस विचार को अमेरिकन के जनगणना विभाग कार्यरत थे। डॉ.हर्मन होलेरिथ ने कार्यान्वित किया वे अमेरिका के जनगणना विभाग में कार्यरत थे। डॉ. होलेरिथ ने टेबुलेटिंग मशीन बनाई जो प्यूरी दुनिया में लोकप्रिय हुई एवं आगे चलकर होलेरिथ ने अपनी टेबुलेटिंग कम्पनी बनाई जो बाद में IBM के नाम से प्रसिद्ध हुई।
ऑगेस्टा एडा
महिला वैज्ञानिक एडा ने बैबेज के सैध्दांतिक काम पर क्रियाशील एनलिटीकल मशीन बनाकर दुनिया में प्रथम कंप्यूटर प्रोग्रामर होने का गौरव प्राप्त किया। बाद में वर्तमान कम्प्यूटर पर कार्य करने के लिए विभिन्न कम्प्यूटर भाषाओ का विकास किया गया।
मिडिल ऐज
हर्मन होलेरिथ की टेबुलर मशीन
कंप्यूटर के विकास में UAS के वैज्ञानिक डॉ. हर्मन होलेरिथ का बहुत योगदान रहा। 1880 की जनगणना विभाग में यह जनगणना विभाग में कार्यरत थे एवं बहुत ही कम समय में इस मशीन के उपयोग से इन्होने इस कार्य को सम्पन्न कराया।
एटानासॉफ-बेरी कम्प्यूटर
सन 1939 में डॉ. जॉन एटानॉसोफ व् उनके छात्र ई-बेरी ने UAS के एक विश्वविधालय में जटिल गणनाओ के लिए Computer बनाने का प्रयोग किया। सन 1942 में इन्होने एक कार्यशील Model तैयार कर लिए जिसमे मुख्य वैक्यूम ट्यूब उपकरण किया था।
यह ABC कंप्यूटर बाइनरी नंबर सिस्टम पर आधारित था तथा संग्रह इकाई व अंकगणित लॉजिक इकाई इसकी मुख्य विशेषताए थी अर्थात एटानासॉफ ने प्रथम इलेक्टॉनिक डिजिटल कम्प्यूटर का आविष्कार किया।
मॉडर्न युग
इस युग में Computer का विकास हुआ। 1930 व 1940 के मध्य कई नामो के इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर बाजार में आए द्वितीय विश्वयुध्द के दौरान एवं मिलैट्री के Codes को तोड़ने के लिए इन कम्प्यूटर्स को काम में लिया गया। 1936 में वैज्ञानिक Conard Zuze ने मॉडल यांत्रिक कंप्यूटर ZI का निर्माण किया जिसमे नंबर इनपुट करने के लिए Keyboard का पयोग किया। इसमें Binary सिस्टम का प्रयोग किया गया।
ZI में धीमे Mechanical Switches को Electrical Relay से बदल दिया और Z2 Computer का निर्माण किया। बाद में वैज्ञानिक zuze ने Z3 व Z4 का निर्माण किया।
कम्प्यूटर की पीढ़ी
द्वितीय विश्वयुध्द के बाद Computer का विकास तेजी से हुआ। कंप्यूटर के क्रमिक विकास को अलग-अलग पांच चरणों में बांटा गया जिसे की पीढ़ियां कहा गया।
प्रथम पीढ़ी – प्रथम पीढ़ी के Computer का आकार बहुत बड़ा था इसमें इलेक्ट्रॉनिक वाल्व/वैक्यूम ट्यूब्स का प्रयोग किया गया था। इस पीढ़ी का प्रथम कम्प्यूटर एनिएक तह पहली पीढ़ी के निम्नलिखित कम्प्यूटर अस्तित्व में आए –
(a) ENIAC – यह पहली पीढ़ी का पहला Computer था जिसे 1946 में जे. पी. एकर्ट तथा जे. डब्ल्यू मुचली ने अमेरिका के पेन्सिलवानियां विश्वविधालय में बनाया।
(B) EDSAC – यह कम्प्यूटर M.V. Wikes के द्वारा 1949 में Cambridge विश्वविधालय में बनाया गया।
(c) EDVAC – यह 1950 ने पेन्सिलवाणियां विश्वविधालय में बनाया गया।
(d) LEO – यह पहला व्यावसायिक कंप्यूटर था जिसे 1951 ने M.V. Wikes ने बनाया।
(e) UNIVAC-I – यह 1951 में Eckert and Mauchly ने बनाया।
(f) IBM 701 एवं IBM 650 – यह 1953 एवं 1954 क्रमशः में International Business Machine Corporation द्वारा बनाए IBM-650 पहला मॉडर्न डिजिटल Computer था जिसे वृहद स्तर पर बनाया गया।
द्वितीय पीढ़ी – 1948 में नोबल पुरस्कार विजेता जान बार्डन वाटर एच ब्रैटेन एवं विलियम बी. शौकले ने मिलकर ट्रांजिस्टर का आविष्कार किया।
उदाहरण – IBM-1620, IBM-1401, UNIVAC-1108, CDC-1604, CDC-3600.
तृतीय पीढ़ी – इलेक्ट्रॉनिक तकनीकी की तरक्की के साथ माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक तकनीक का आविष्कार हुआ। इसमें बहुत सारे इलेक्ट्रॉनिक सर्किट को बहुत छोटे सिलिकॉन की सतह पर एकीकृत किया गया।
ये तकनीक एकीकृत परिपथ कहलाई तृतीय पीढ़ी के कम्प्यूटर का आकार IC थी। IC का आविष्कार 1958 में Jack Kiby ने किया।
उदाहरण : ICL-2903, CDC-1700, PDP-11/45
चतुर्थ पीढ़ी – इस पीढ़ी के कम्प्यूटरो का समय सन 1975 से 1990 तक मन जाता है। आज भी इस पीढ़ी के कम्प्यूटर का भरपूर उपयोग किया जा रहा है।
इसमें केवल एक सिलिकॉन चिप पर कप्म्यूटर के सभी एकीकृत परिपथों को लगाया जाता है जिसे माइक्रोप्रोसेसर कहा जाता है।
पंचम पीढ़ी – सन 1990 के बाद में समय के ऐसे कम्प्यूटरो के निर्माण का प्रयास चल रहा है जिनमे कम्प्यूटिंग की ऊंची क्षमताओं के साथ-साथ तर्क करने, निर्णय लेने तथा सोचने का भी सामर्थ्य हो।
कम्प्यूटर के प्रकार –
आकार एवं क्षमता के आधार पर Computer का आकर।
- माइक्रो कम्प्यूटर – ये आकार में छोटे एवं कम कीमत के कम्प्यूटर होते है ये उपयोग करने में आसान होते है व उपयोगकर्ता के लिए मित्रवत होते है इस प्रकार के कम्प्यूटर की संग्रहण क्षमता तथा कार्य करने की गति अपेक्षाकृत कम होती है। इन पर एक समय में एक ही व्यक्ति कार्य कर सकता है इसलिए इन्हे पर्सनल कम्प्यूटर कहते है।
इन कम्प्यूटरो में माइक्रोप्रोसेसर चिप का प्रयोग किया जाता है माइक्रोप्रोसेसर चिप वास्तव में एक पूरी सी.पी.यू. होती है जो एक छोटे सी चिप पर समा जाती है इन कम्प्यूटरो का आकार इतना छोटा होता है की एक मेज पर आसानी से रखे जा सकते है।
2. मिनी कम्प्यूटर – ये मध्यम आकार के सामान्य उद्द्र्शय वाले कम्प्यूटर होते है। इनकी संग्रहण क्षमता व कार्य करने की गई माइक्रो कम्प्यूटर की अपेक्षा अधिक होती है।
इस प्रकार के Computer पर एक समय में एक से अधिक व्यक्ति तक कार्य कर सकते है। इस प्रकार के कम्प्यूटर से अन्य सहायक उपकरण जैसे प्रिंटर प्लॉटर आदि जोड़े जा सकते है।
3. मेनफ्रेम कंप्यूटर – इनका आकार माइक्रो व् मिनी कंप्यूटर से बड़ा होता है इस प्रकार के Computer की संग्रहण क्षमता व कार्य करने की गति अधिक होती है।
ये पूर्व Computer की अपेक्षा अधिक जटिल समस्याओं का समाधान कर सकते है। इन पर एक साथ सैंकड़ो व्यक्ति कार्य कर सकते है। इन कम्प्यूटर को एयर कंडीशनिंग की आवश्यकता होती है जिससे इनका तापमान नियंत्रित रहे। इन कम्प्यूटर का मूल्य बहुत अधिक होता है।
4. सुपर कम्प्यूटर – ये Computer आकार में बड़े होते है इनके कार्य करने की गति अन्य कम्प्यूटरो की अपेक्षा सर्वाधिक होती है। ये उच्च संग्रहण क्षमता वाले कम्प्यूटर होते है।
इनमे समान्तर प्रोसेसिंग की क्षमता होती है जिसमे कोई गणना अलग-अलग चरणों में करने के बजाए इस प्रकार की जाती है की जल्दी पूर्ण हो जाए
अधिक जटिल गणनाए व उच्च कोटि की शुद्धता वाली गणनाए सुपर Computer से ही सम्भव है। इनका मुख्यतः उपयोग वैज्ञानिक शोध प्रयोगशालाओ में, मौसम भविष्यवाणी में अंतरक्षि शोध प्रयोगशालाओ में किया जाता है।
उद्देश्य के आधार पर कम्प्यूटर के प्रकार
- सामान्य उद्देशीय कम्प्यूटर – यह बहुउद्देशीय या सभी उद्देश्यों की पूर्ती करने वाले कम्प्यूटर होते है इनका उपयोग सभी क्षेत्रो में जैसे गणितीय गणनाओ, व्यावसायिक क्षेत्र विश्लेषण क्षेत्र व ग्राफिक्स आदि में किया जाता है।
2. सभी पर्सनल कम्प्यूटर इसी प्रकार के कम्प्यूटर है जिनका मूल स्वरूप तो समान है किन्तु विभिन्न सॉफ्टवेयर का उपयोग करके उनसे कई उद्देश्यों की पूर्ती की जा सकती है। इनकी सी. पी.यू. अपेक्षाकृत सरल व कम कीमत का होता है।
3. विशिष्ट उद्देशीय कम्प्यूटर – इस प्रकार के कम्प्यूटर किसी विशेष प्रकार के कार्य को करने में समर्थ होते है। इनमे सी.पी.यू. की स्खमता कार्य के अनुरूप होती है। आवश्यकता होने पर एक साथ कई सी.पी.यू. को भी जोड़ा जा सकता है इस प्रकार के कम्प्यूटर के कार्य को करने में दक्ष होते है, उदाहरणार्थ किसी कपडे की मील में कपड़े की गुणवत्ता डिजाइन व रंगो को जांचने के लिए कम्प्यूटर लगाए जाते है।
विशिष्ट उद्देशीय कम्प्यूटर मुख्यतः अंतरिक्ष अनुसंधान, मौसम विभाग यातायात नियंत्रण आदि में सफलतापूर्वक कार्य करते है।
अभिकल्पना एवं अनुप्रयोग के आधार पर कम्प्यूटर के प्रकार
एनालॉग कम्प्यूटर – ये Computer भौतिक राशियों जैसे ताप दाब द्रव के परवाह आदि पर कार्य करते है।
ये कम्प्यूटर गिनने की वजाय मापकर गणना करते है इनका उपयोग वह किया जाता है जहा पर ताप, दाब, धरा अथवा विधुत विभव को लगातार मापना होता है। इनका उपयोग इंजीजियरिंग व् विज्ञानं के क्षेत्र में भी अधिक होता है क्योकि वह मात्रा के रूप में गणना का कार्य अधिक होता है इस प्रकार के कम्प्यूटर पर प्रोगरामिंग का ज्ञान होना आवश्यक नहीं है।
इन Computer की शुध्दता 99.99% होती है एनालॉग सिग्नल सदैव सतत् प्रकार के होते है और डिजिटल सिग्नल असतत होते है।
उदाहरण : एक पेट्रोल पम्प पर लगा एनालॉग कम्प्यूटर पम्प से निकले पेट्रोल की मात्रा को माप कर लीटर में दिखता है तथा उसके मूल्य की गणना कर स्क्रीन पर दिखाता है।
डिजिटल कम्प्यूटर – वर्तमान कंप्यूयटर का प्रयोग बहुतायत में हो रहा है ये इनपुट के रूप में संख्याए या आंकड़े लेते है जहां उन पर अंकगणितीय करिये की जाती है तथा आउटपुट के रूप में ये हमें आंकड़े ही प्रदान करते है इन कम्प्यूटरो की शुध्दता 100% होती है। डिजिटल कम्प्यूटर में डाटा व् निर्देश एक साथ इनपुट किया जाता है व कम्प्यूटर निर्देशानुसार गणनाए करके परिणाम आउटपुट के रूप में प्रदान करते है।
कम्प्यूटर के पार्ट्स
Computer को चलाने के लिए उस में उपयोग होने वाली डिवाइस की जरूरत पड़ती है क्योकि इन डिवाइसों के बिना कम्प्यूटर को नहीं चलाया जा सकता है यह तीन प्रकार की होती है जो निम्न प्रकार के है-
इनपुट डिवाइस के नाम
- माउस
- कीबोर्ड
- माइक्रोफोन
- टच स्क्रीन
- वेब कैम
- जॉयस्टिक
- पॉवर केबल
- VGA केबल
आउटपुट डिवाइस के नाम –
- मॉनिटर
- प्रिंटर
- स्कैनर
- स्पीकर
- प्रोजेक्टर
प्लॉटर प्रोसेसर डिवाइस के नाम –
- मदरबोर्ड
- माइक्रोप्रोसेंसर
- ग्राफिक्स कार्ड
- ऑडियो कार्ड
- रैम
- रोम
- हार्डिक्स
- CD या DVD ड्राइव
- पेन ड्राइव
- एसएमपीएस
अन्य कम्प्यूटर डिवाइस के नाम
- मॉडेम
- कम्प्यूटर कैबिनेट केस
- यूपीएस।
कम्प्यूटर से लाभ
- गति – कम्प्यूटर की कार्य करने की गति बहुत अधिक है। वह जटिल से जटिल गणनाए कुछ सैकंडो में हल कर देता है। किसी Computer की गति को MIPS में मापते हैं।
- विश्वसनीयता – कम्प्यूटर शत-प्रतिशत परिणाम देने वाली मशीन है यदि उसे सही निर्देश दिए गए है तो परिणाम शत प्रतिशत सही होगा किन्तु यदि निर्देश सही नहीं है तो परिणाम सही नहीं मिलेंगे
- विविधता – कम्प्यूटर एक ऐसी मशीन है जो विविध समस्याओ का समाधान करने में सक्षम है। कम्प्यूटर का उपयोग विभिन्न क्षेत्रो में किया जाता है जबकि कोई अन्य मशीन सिमित क्षेत्रो में ही कार्य करती है।
- सूचनाओं की पुनः प्राप्ति – कम्प्यूटर में विशेषता होती है की इसकी मेमोरी में एक बार सूचना संग्रहित हो जाती है तो वह ना तो कभी खोती है भूली जाती है।
- एकरूपता – Computer कभी भी काम में थकता नहीं है सदैव एक सी सजगता से कार्य करता है अर्थात उसके कार्य में सदैव एकरूपता रहती है।
- उच्चस्तरीय उत्पाद – Computer उत्पादों की गुणवत्ता को बढ़ाता है व् कार्यशैली में भी विकास करता है उदाहरण : A.T.M. बैंकिग में किसी स्थान का पैसा कही भी दूसरी शाखा से निकाला जा सकता है जिससे बैंकिग का कार्य सुविधाजनक एवं तीव्र गति से सम्पन्न हो जाता है।
- उत्पादकता में वृद्धि – Computer के उत्पादों से एक निश्चित समय में अधिक संख्या में उत्पाद प्राप्त किए जा सकते है कम्प्यूटर के उपयोग से उत्पादक बढ़ती है।
- मनोरंजन का साधन – Computer मनोरंजन का एक उपयुक्त यंत्र है इसमें बच्चे कहे, खेल सकते है इस पर संगीत का चलचित्र का, दूरदर्शन आदि का आनंद उठाया जा सकता है।
- शिक्षा में लाभ – Computer में कई ऐसे प्रोग्राम उपलब्ध है। जिनके द्वारा छात्र अपने विभन्न विषयो का अध्ययन कर सकते है। इस प्रकार के विशेष प्रोग्रामो को ट्रयूटर प्रोग्राम कहा जाता है। यह प्रोग्राम
- अपनों के लिए सहायक – वर्तमान में Computer की सहायता से अपंग लोग अपनी जीविका चला रहे है उदाहरणतया यदि कोई व्यक्ति बोलने में असमर्थ है तो वह कम्प्यूटर स कार्य करके अथवा कम्प्यूटर पर टाइपिंग या अन्य कार्य कर अपनी जीविका चला सकता है।
कम्प्यूटर से नुकसान
जैसे Computer हमारे लिए वरदान सिद्ध है वैसे ही उपयोग कही न कही हमारे लिए नुकसान दायक है जैसे –
- गलत खबरों को आसानी से लोगो तक पहुंचाता है।
- हैकर कम्प्यूटर का गलत उपयोग करके लोगो के अकाउंट के पैसे चोरी कर लेते है।
- अशिक्षित लोग कंप्यूटर का उपयोग नहीं कर पाते है।
आशा है कम्प्यूटर से संबंधित जानकारी आपको पसंद आई होगी।
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