इस आर्टिकल में आप प्याज क्या है, प्याज खाने के लाभ, प्याज के औषधीय गुण और प्याज के वैज्ञानिक नाम आदि पढ़ेंगे।
प्याज क्या है
यह एक ऐसी सब्जी है जिसके कंद का इस्तेमाल शाकाहारी और मासाहारी दोनों तरह की सब्जी बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।
यह एलिएसी कुल का पौधा है प्याज के हरे भाग का उपयोग भी सब्जी बनाने में किया जाता है प्याज में औषधीय गुण पाए जाते है जिसके कारण इसे हमारे खाने में सलाद के साथ भी शामिल किया जाता है।
इससे से सुप, अचार, सब्जी, चटनी, सभी प्रकार के खाद्य बनाने में उपयोग कर सकते है, इसका सबसे ज्यादा उत्पादन भारत के, गुजरात, महाराष्ट्र, उड़ीसा, राजस्थान, बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडू और बिहार में मुख्य रूप से की जाती है, इसके अलावा भारत के छोटे क्षेत्रों में भी इसकी खेती की जाती है।
प्याज का वैज्ञानिक नाम
प्याज का वैज्ञानिक नाम जान एलियम सेपा है लेकिन इसे मुख्य रूप से प्याज के नाम से ही सभी जगह जाना जाता है
ग्रामीण क्षेत्रो में इसे कंद, कांदा और शहर में इसे अंग्रेजी नाम ओनियन के नाम से जाना जाता है।
प्याज की खेती
इसकी खेती करने के लिए एक समान तापमान की जरूरत होती है इसलिए भारत में प्याज की खेती करने के लिए रबी और खरीफ की फसल के साथ करना उचित माना जाता है।
प्याज की खेती तो सभी प्रकार की मिटटी में कर सकते है यदि दोमट मिटटी हो जिसका पानी का निकास और खाद्य प्रचुर मात्रा में हो तो इसकी उपज अधिक मात्रा मे और बड़े कंदो की जा सकती है।
इसे लगाने के लिए जिस जगह को तैयार करना है उसमे प्याज लगाने से 15 दिन पहले मिटटी के साथ बहुत पुराने गोबर की खाद को पूरे खेत में मिला दे।
यदि आप इसके बीज खेत में लगाना चाह रहे है तो आपको मई के आखरी सप्ताह से ले कर जून के पूरे महीने में बुआई कर सकते है, और यदि आप खेत में कंद लगाना चाहते है तो आप अगस्त के महीने में कंदो को खेत में लगा सकते है।
आप जिन कंदो को खेतो में लगाना चाहते है उन्हें तैयार करने के लिए आप जनवरी माह के अंतिम दिनों में और फरवरी माह के शुरू के दिनों में नर्सरी में क्यारी में बीज की बुआई करके तैयार कर सकते है।
प्याज के बीज से कंद बनाने के लिए जब आप बीज को नर्सरी में बोयेगे तो अच्छी खाद और उर्वरक के उपयोग के साथ प्रत्येक बीज को 5-6 सेमीटर की दुरी पर और 2 से 3 सेमीटर की गहराई पर बोये, जिस मिटटी में आप प्याज के बीज बो करे रहे उसे हलके टुकड़ो में तोड़ लेना चाहिए ताकि जब बीज अंकुरित हो तो उसे जमीन से ऊपर आने में आसानी हो।
जब आप बीज को या कंदो को खेत में या नर्सरी में तैयार करने के लिए बोयेगे तो बोने के बाद तीन चार दिन तक हल्की सिचाई करते रहे ताकि मिटटी में नमी बनी रहे, जब पौधे अंकुरित हो जाए तो उसके बाद प्रत्येक 10 से 12 दिन के अंतराल पर पौधों को पानी देते रहे ताकि कंद को बढ़ने में नमी और पानी से मिलने वाले पोषक तत्व मिलते रहे।
जब पौधे में पीलापन आ जाए और शीर्ष भाग पीले हो कर गिरने लगे तो बिल्कुल भी पानी देने की जरूरत है प्याज के कंद पूरी तरह से तैयार हो गए है।
यदि आप रबी की फसल के साथ प्याज की खेती कर रहे है तो इसकी खुदाई का सही समय जब इसकी पत्तिया पीली हो कर नीचे गिरने लग जाती है तो आप इसकी खुदाई कर सकते है और यदि इसकी खेती खरीफ की फसल के साथ कर रहे है तो इसकी खुदाई का सही समय दिसंबर से जनवरी में होता है जब इसके कंद पूरी तरह से तैयार हो जाता है तो इसके पौधे की वृद्धि रुक जाती है और गांठे मोटी हो जाती है जब इसकी गांठे मोटी होने लगे तो इसकी पत्तियों को पैर से गिरा दिया जाता है।
जब पत्ते पूरे तरह से गिरा दिए जाए उसके 15 दिन बाद प्याज की खुदाई की जा सकती है।
इसकी खुदाई के बाद प्याज के साथ जो पत्तिया और तना लगा होगा है उसे 15 दिन तक सूखा ले उसके बाद कंद से अलग कर दे यदि धूप तेज है तो कंद को धूप में नहीं सुखना है आप पूरे पेड़ को छाव में रख कर ही सुखाये उसके बाद कंद अलग करे।
प्याज खाने के फायदे
- प्याज में कई तरह के पोषक तत्व होते है जिन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
2. इसमें क्रोमियम पाया जाता है यदि इसका उपयोग मधुमेह के मरीज करते है तो उन्हें बहुत फायदेमंद होता है।
3. इसमें क्वेरसेटिन व एंथोसायनिन नामक तत्व पाए जाए है जिसमे से क्वेरसेटिन एंटीऑक्सीडेंट की तरह कार्य करता है यही एंटीऑक्सीडेंट हमारे शरीर में मुक्त कणो को बनने से रोकते है जिससे कैसंर जैसी बीमारी कम होने की आशंका होती है।
4. पके हुए प्याज में फाइबर अधिक मात्रा में होने के साथ ऐसे औषधीय गुण पाए जाते है जिनके सेवन से पेट से जुडी बीमारी जैसे कब्ज और गैस जैसी समस्या को कम किया जा सकता है।
5. प्याज में एंटीऑक्सीडेंट के साथ एंटीइंफ्लेमेटरी भी पाया जाता है ये दोनों ही हमारे ह्रदय को स्वस्थ रखने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होते है।
6. प्याज का सेवन करने से जोड़ो के दर्द में राहत मिलती है, इसके औषधीय गुणों के कारण हड्डिया मजबूत होने के साथ यदि इसका सेवन नियमित रूप से किया जाए तो हड्डी टूटने की आशंका कम हो जाती है।
7. कच्ची प्याज में थायोसल्फ्रेट्स और थियोसल्फोनेट्स नामक दो सल्फर पाए जाते है इसलिए इसका कच्चा सेवन करने से मुँह से बदबू आती है लेकिन यही सल्फर हमारे दांतो को सड़ाने वाले बैक्टीरिया से बचाता है कच्ची प्याज से मुँह के कैंसर को रोने के औषधीय गुण पाए जाते है।
8. इसके रस का उपयोग कान के दर्द को ठीक करने में भी किया जाता है कच्ची प्याज को गर्म करके रस निकाल कर उस रस को जिस कान में दर्द हो उस में डाला जाता है।
9. इसमें ग्लूटाथिओन नामक एक प्रकार का प्रोटीन पाया जाता है जिसे काले और सफेद मोतियाबिंद के साथ आँख से जुडी बीमारी को ठीक करे में सहायक होता है।
10. प्याज में सेलेनियम पाया जाता है जिसमे विटामिन ई भरपूर मात्रा में होता है जिसके सेवन से हमारे शरीर में विटामिन ई पर्याप्त मात्रा में मिलता है।
प्याज खाने के नुकसान
प्याज का कच्चा सेवन करने से मुँह से बदबू आने लगती है।
प्याज का अधिक मात्रा में सेवन करने से खून में शुगर की मात्रा कम हो जाती है।
यदि गर्भवती महिला कच्ची प्याज का अधिक सेवन करने से सीने में जलन हो सकती है।
प्याज के अधिक सेवन से शरीर में लिथियम की मात्रा बढ़ जाती है यदि आप डिप्रेशन के मरीज है और लिथियम की दवा ले रहे है तो आपको प्याज का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।
प्याज में सिस्टोलिक व डायस्टोलिक नामक तत्व पाए जाते है यदि आप प्याज का अधिक सेवन करने से यह दोनों तत्व हमारे शरीर में रक्तचाप को कम कर सकते है इसलिए प्याज के सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर ले।
प्याज का रस कैसे निकाले
प्याज एक ऐसी सब्जी है जिसका रस निकालना बहुत आसान है प्याज के कंद से ही अन्य सब्जियों के मुताबिक अधिक मात्रा में रस निकलता है।
प्याज से रस निकालने के लिए सबसे पहले प्याज की ऊपरी परत निकाल दे, एक परत निकालने के बाद चाकू की सहायता से एक साइड का निकला हुआ हिस्सा काट कर अलग कर दे।
एक कद्दूकस ले कद्दूकस को परात में रखे और कद्दूकस से प्याज को कद्दूकस कर ले, जब प्याज पूरी कद्दूकस हो जाए तो एक छन्नी को एक कटोरे के ऊपर रखे और कद्दूकस की हुई प्याज को छन्नी में डाल कर प्याज को नीचे की और दबाये ऐसा करने से प्याज का रस कटोरे में इकट्ठा हो जाएगा।
यदि आप प्याज को ग्राइंडर में पीस कर रस निकालना चाहते है तो आप पहले प्याज को छील कर छोटे टुकड़ो में काट कर ग्राइंडर में डाल कर पीस ले और जब प्याज पीस जाए तो एक कपड़े में पीसी हुई प्याज को डाल कर कपड़े को चारो ओर से समेट कर प्याज को बीच में कर ले और प्याज को कपड़े के अंदर पोटली जैसा बना कर प्याज का रस निकाल ले।
प्याज के रस के लाभ
- प्याज और प्याज के रस के बहुत सारे फायदे है इसलिए इसका उपयोग हमारे रोज के खान में किया जाता है।
- यदि आपके कान में दर्द हो रहा है तो प्याज के रस को डाल कर कान के दर्द को ठीक कर सकते है।
- अक्सर कुछ लोगो की नाक से खून निकलने लगता है जब नाक से खून निकले तो एक दो बूँद प्याज का रस नाक में डालने से नाक से खून निकलना बंद हो जाता है।
- गर्मी में कच्ची प्याज खाने से लू नहीं लगती है साथ ही यदि आप अपने साथ जेब में रखते है तो आपको ज्यादा गर्मी का अहसास नहीं होगा।
- प्याज के रस को बालो में लगाने से बालो को लम्बा काला और घना बनाया जा सकता है।
- यदि आपको जोड़ो में दर्द रहता है तो आप सरसो के तेल में प्याज का रस मिला कर दर्द हो रहे अंग पर लगाएंगे तो बहुत जल्द आपको आराम मिलेगा।
- सर्दी जुखाम होने पर शहद के साथ प्याज के रस को बराबर मात्रा में मिला कर चाटने से बहुत जल्द आराम मिलता है।
- प्याज के रस का उपयोग चेहरे को स्वस्थ और जवान बनाये रखने के साथ झुर्रियों को कम करने में भी इसका उपयोग किया जाता है।
- दाँत दर्द करने पर भी प्याज के रस का उपयोग किया जाता है।
- प्याज के रस में क्रोमियम नामक तत्व पाया जाता है जो शुगर लेबल को कम करता है और ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करता है।
विभिन्न मण्डियों मे प्याज के भाव
मध्य प्रदेश
मंडी का नाम | न्यूनतम भाव | अधिकतम भाव |
---|---|---|
उज्जैन | 1000 | 1835 |
बड़नगर | 1050 | 1700 |
काला पीपल | 1010 | 2000 |
अकोनिया | 1050 | 1813 |
शिवपुरी | 582 | 1523 |
शाजापुर | 1000 | 1779 |
रतलाम | 850 | 2000 |
सेहोरे | 1200 | 1799 |
देवास | 1500 | 1800 |
इंदौर | 1100 | 1781 |
खंडवा | 650 | 1000 |
मंदसौर | 1500 | 2032 |
जावरा | 1200 | 1950 |
भोपाल | 800 | 1260 |
छिंदवाड़ा | 900 | 1500 |
गुजरात
मंडी का नाम | न्यूनतम भाव | अधिकतम भाव |
---|---|---|
आनंद | 1000 | 2000 |
मेहसाना | 1010 | 2000 |
मोरबी | 1010 | 2000 |
जामनगर | 1010 | 1500 |
दहोद | 1210 | 2200 |
पोरबंदर | 1510 | 2500 |
सूरत | 1300 | 2250 |
वड़ोदरा | 1100 | 1400 |
हरियाणा
मंडी का नाम | न्यूनतम भाव | अधिकतम भाव |
---|---|---|
फिरोजपुर ज़ीराखा | 1750 | 2300 |
महाराष्ट्र
मंडी का नाम | न्यूनतम भाव | अधिकतम भाव |
---|---|---|
चन्दनं पुर | 1510 | 2500 |
कोल्हापुर | 1000 | 1850 |
मुंबई | 1250 | 2100 |
नाशिक | 1550 | 1800 |
नागपुर | 1010 | 2000 |
पुणे | 1010 | 1900 |
परभणी | 1010 | 2000 |
रायगढ़ | 1300 | 1700 |
सांगली | 1050 | 1900 |
सतारा | 1650 | 2000 |
सोलापुर | 1210 | 2200 |
धुले | 1050 | 1800 |
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आशा है की प्याज की जानकारी आपको पसंद आयी होगी और इसको पढ़कर आप समस्त जानकारी समझ पाये होंगे।
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