पेड़ पौधे कुदरत की बहुत ही बड़ी देन है जो न केवल हमारी आवश्यकताओ की पूर्ती करता है बल्कि भोजन शृंखला और कार्बन च्रक में भी बहुत बड़ी भूमिका निभाते है।
प्रकृति में पाए जाने वाले कुछ पौधे ऐसे है जिनका हमारे जीवन में औषधी महत्व होता है जो हमारे शरीर को निरोगी बना कर स्वस्थ बनाये रखने में मदद करता है।
चलिए आज में आपको कुछ औषधियों पौधों के वानस्पतिक नाम और उनके उपयोग बताती है।
औषधियों पौधों के नाम और उपयोग
- तुलसी का वैज्ञानिक नाम ऑसीमम सैंक्चुम
कुल – लैमिएसी
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उपयोग :-
- सर्दी जुखाम होने पर तुलसी का काढ़ा बनाकर पिने से आराम मिलता है।
- मुँह से दुर्गन्ध आने पर तुलसी के पत्ते चबाने से दुर्गन्ध की समस्या नहीं रहती है।
- बालो में जु और लीख होने पर तुलसी का रस या बाजार में मिलने वाला तुलसी का तेल में लगाना चाहिए।
- तुलसी इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत बनाती है इसलिए इसका सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
- दस्त होने पर तुसली के पत्तो को जीरे के साथ पीस कर दिन में तीन चार बार पीने से आराम मिलता है।
2. आंवला का वैज्ञानिक नाम एमब्लिका ओफिसिनैलिस
कुल – फीलन्थैसे
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उपयोग :-
- तुलसी में एंटी कैंसर गुण पाए जाते है जो कैंसर की कोशिकाओं को विकसित होने रोकती है इसलिए इसे कैंसर के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है।
- आंवला शरीर में उपस्तिथ गंदगी को साफ करने के साथ वजन कम करने में फायदेमंद होता है यदि इसका सेवन नियमित रूप से रोज किया जाये तो शरीर में गंदगी नहीं जम पाती है।
- आंवला शरीर और दिमाग दोनों को आराम देने में मददगार होने के साथ शरीर के उच्च रक्त चाप को नियंत्रित करने में कारगर होता है।
- आंवले का जूस पेप्टिक अल्सर में बहुत कारगर साबित होता है हर सुबह इसका सेवन करने से अल्सर में आराम मिलता है।
- आंवले में एंटी ऑक्सीडेंट गुण होता है जो रेटिना के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है यह विटामिन सी का बहुत अच्छे स्रोत है।
3. बेल का वैज्ञानिक नाम एगल मार्मलेस
कुल – रुतासेऐ
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उपयोग :-
- बेल का जूस पीने से दिल से जुड़ी बीमारियों में बचाव में सहायक होते है।
- यह तेज गर्मी में ठंडक देने का काम करती है।
- बेल का सेवन करने से कोलेस्टॉल नियंत्रित रहता है।
- खून साफ करने के लिए बेल के रस को गर्म पानी में मिला कर थोड़ी सी मात्रा में शहद मिला कर सेवन करे।
- नियमित रूप से बेल का रास पीने से गैस और कब्ज की समस्या से निजात मिलता है।
4. नीम का वैज्ञानिक नाम अज़दिरचता इंडिका
कुल – महोगनी
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उपयोग :-
- नीम की छाल को पत्थर पर घीस कर लगाने से घाव में साफ और ठीक हो जाता है।
- यह उलटी और मतली में राहत दिलाती है।
- थकान में राहत दिलाता है।
- सूजन को कम करता है।
- यह यूटीआई और पेट के कीड़ो के लिए अच्छा है।
5. नींबू का वैज्ञानिक नाम सिट्रस मैक्सिमा )
कुल – रूटेसी
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उपयोग :-
- नींबू अपच और कब्ज से सबंधित इलाज करने में मदद करता है।
- नींबू का रस बालो में डालने से बालो को नई चमक मिलती है।
- नींबू का रस पानी और शहद का फैंस पैक लगाने से आपके चेहरे को नई चमक मिलती है और ब्लैकहेड और झुर्रियों को कम करता है।
- नींबू में एंटीसेप्टिक और खुशबूदार एजेंट होते है गर्म पानी में नींबू का रस मिला कर पैरो को गर्म पानी में रखे पैरो को बहुत आराम मिलता है।
- वजन घटाने के लिए नींबू के रस को गुनगुने पानी में मिला और थोड़ी सी मात्रा शहद मिला कर पीने से वजन करने में मदद करता है।
6. हल्दी का वैज्ञानिक नाम कुरकुमा लोंगा
कुल – जिन्जिबेरेसी
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उपयोग :-
- छोटी मोती छोट लगाने पर हल्दी लगाने से खून बंद हो जाता है और घाव ठीक हो जाता है।
- हल्की थकान और हाथ पैर के दर्द को ठीक करने के लिए हलके गर्म दूध में थोड़ी सी हल्दी मिला कर रात में पिए आपकी थकान दूर जाएगी।
- हल्दी वाला दूध पीने से हड्डिया मजबूत होने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
- लिवर से सबंधित समस्याओ को ठीक करने के लिए कच्ची हल्दी का सेवन डॉक्टर का परामर्श ले कर सेवन करे।
- रोजाना हल्दी खाने से रक्त में पाए जाने वाले विषैले तत्व शरीर से बाहर निकाल देते है।
7. अडूसा का वैज्ञानिक नाम जस्टिसिया अधोसा
कुल – ऐकेन्थेसी
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उपयोग :-
- अडूसा में एंटी डायबिटिक गुण पाए जाते है यह गुण डायबिटीज को कम करने में मदद करता है।
- अडूसा में उपस्तिथ एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण सूजन के कारण होने वाली समस्याओ को दूर करने मदद करता है।
- लिवर को स्वस्थ रखने के लिए भी अडूसा का सेवन किया जा सकता है। दरअसल, एक स्टडी के अनुसार अडूसा में मौजूद मुख्य घटक इथाइल एसीटेट में हेपाटोप्रोटेक्टिव (लिवर को नुकसान से बचाने वाला) गतिविधि की पुष्टि हुई है।
8. करी पत्ता का वैज्ञानिक नाम मौर्य कोएंगी
कुल – रूटसै
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उपयोग :-
- करी पत्ता में माइल्ड लैक्सेटिव नामक तत्व पाए जाते है जिससे डायरिया जैसी समस्या होने पर फायदा मिलता है।
- यदि आपको अक्सर सर्दी खासी रहती है तो आपको करी पत्ती को अपने आहार में जरूर शामिल करना चाहिए क्योकि करी पत्ती में विटामिन सी और ए के कम्पाउंड केमफेरोल में एंटी इन्फ्लेमेटरी तत्व पाया जाता है जो गले में जमे कफ को बाहर निकालने में मददगार होते है।
- करी पत्ता में एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते है जो फंगल इन्फ़ेक्सन, एक्नें और त्वचा संबंधित रोगो ठीक करने में मददगार होते है।
- बालो का झड़ना, रूखे रहना और रूसी रहने पर करी पत्ता का उपयोग किया जा सकता है।
- करी पत्ता में बेड कोलैस्ट्रोल को ख़त्म करके कोलेस्टॉल को नियंत्रित करता है और दिल से जुड़ी बीमारी होने से रोकता है।
9. महुआ का वैज्ञानिक नाम मधुका इंडिका
कुल – सपोटासाए
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उपयोग :-
1. अल्सर होने पर पेट में छाले आ जाते है और पाचन किया धीमी हो जाती है ऐसे में खाये गए किसी भी पदार्थ को पचाने में अधिक समय लगता है क्योकि अल्सर मुख्य रूप से आहार नाल में होता है ऐसे में महुआ के फूल का सेवन करने पर बहुत आराम मिलता है।
2. फ्लू और सामान्य बुखार होने पर महुआ की छाल का रस उपयोग करके बुखार और फ्लू से निजात पाया जा सकता है इसमें उपस्तिथ औषधीय गुण इन बीमारियों से लड़ने में काफी मददगार होते है।
3. महुआ के फूल का रस त्वचा पर लगाने से चेहरे पर चमक और चिकना हो जाता है।
4. महुआ के छाल के रस में एक ऐसा तत्व पाया जाता है जो ग्लूकोज की मात्रा को कम करने का काम करता है जो शरीर में इन्सुलिन की कमी और हाई ब्लड प्रेशर को कम करने का काम करता है।
5. महुआ के फल में कोलेस्ट्रॉल कम करने के गुण पाए जाते है इसलिए इससे निकलने वाले तेल का इस्तेलम खाने में फ़ायदेंमद होता है।
10. ब्राम्ही का वैज्ञानिक नाम सिटेला एशियाटिक
कुल – प्लान्टेजिनेसी
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उपयोग :-
- ब्राह्मी में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी व एंटीकॉन्वेलसेंट गुण हाेते हैंयह गुण मस्तिष्क की कार्य क्षमता को बढ़ाने के साथ मिर्गी, चिंता और अनिद्रा दूर भगाने में कारगार होते है।
- ब्राह्मी जड़ी बूटी रक्त संचार में सुधार करने में लाभकारी हो सकती है, ब्राह्मी बूटी हृदय और रक्त वाहिकाओं के अंदर मौजूद एंडोथेलियम मेमबरेन से नाइट्रिक ऑक्साइड रिलीज करके रक्तचाप के खतरे को कम कर सकती है।
- ब्राह्मी कोलन कैंसर की हानिकारक कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने में मददगार साबित हो सकती है बस ध्यान दें कि कैंसर एक गंभीर बीमारी है। इसका डॉक्टर से ट्रीटमेंट करवाना जरूरी है।
11. चिरायता का वैज्ञानिक नाम एंड्रोग्राफिस पानिकलता
कुल – गेंटिअन्सी
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उपयोग :-
- चिरायता का केवल 15-30 मिली काढ़ा पीने से स्तनों के दूध की गुणवत्ता बढ़ती है।
- अत्यधिक प्यास लगने पर चिरायता, गुडूची, सुगन्धवाला धनिया और पटोला आदि का काढ़ा बना कर एक निश्चित मात्रा यानि 10-20 मिली पिए।
- चिरायता का काढ़ा पीने से आंत में रहने वाले कीड़े खत्म है।
- खांसी होने पर 20-30 मिली चिरायता काढ़ा पीने से आराम मिलता है।
- चिरायता में भूख बढ़ाने का औषधिये गुण पाया जाता है इस लिए जिन्हे भूख नहीं लगती है वह चिरायता के काढ़े को प्रत्येक दिनम 20 – 30 मिली पी सकते है।
12. सदाबहार का वैज्ञानिक नाम कथारंथुस रोसेउस
कुल – एपोसाइनेसी
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उपयोग :-
- सदाबहार के पत्ते और फूल का सेवन चाय या पाउडर के रूप करने से डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है।
- नर्वस सिस्टम को ठीक करने के लिए फूलो का काढ़ा बना कर सेवन कर सकते है इससे तंत्रिका तंत्र मजबूत होता है।
- सदाबहार के फूलो का सेवन करके ब्लड प्रेशर को कंट्रोल किया जा सकता है।
- सदाबहार की पत्तियां गले में इन्फेक्शन की समस्या में बहुत फायदेमंद होती हैं। इसमें मौजूद एलकालॉइड्स, एजमेलीसीन, सरपेन्टीन नामक तत्व शरीर में मौजूद संक्रमण को दूर करने में बहुत उपयोगी माने जाते हैं।
13. सहजन का वैज्ञानिक नाम मोरिंगा ओलिफेरा
कुल – मोरिंगशिए
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उपयोग :-
- सहजन में क्लोरोजेनिक एसिड और एंटी-ओबेसिटी गुण मौजूद होते है जो अनचाहे आये मोटापे को कम करने में मदद करते है।
- सहजन की पत्तियों, फूलो, फलियों और छान में एंटी डायबिटिक गुण पाए जाते है जो डायबिटीज कम करने में मदद करते है।
- सहजन की पत्तियों में हाई एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते है जो शरीर में इंफ्लेमेशन के कारण होने वाली समस्याओ से राहत दिलाता है और हार्ट को हेल्दी रखने में मदद करता है।
- सहजन की पत्तियों का सेवन करके पेट से जुड़ी समस्याओ को ठीक किया जा सकता है।
- सहजन की पत्तियों में कई पोषक तत्व पाए जाते है इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत बनाता है और यही मजबूत इम्युनिटी शरीर को कई संक्रमण से बचाता है।
14. हड़जोरा का वैज्ञानिक नाम टीनोस्पोरा कर्डिफोलीअ
कुल – सिस्सुस क्वाडरारिस
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उपयोग :-
- यह कुल कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल-कोलेस्ट्रॉल, और ट्राइग्लिसराइड्स को कम करता है।
- यह पाचन क्षमता और यकृत समारोह में सुधार करता है।
- यह मासिक धर्म के दौरान होने वाले अत्यधिक रक्तस्राव को कम करता है।
- यह शरीर की वसा को कम करता है और समग्र लिपिड प्रोफाइल में सुधार करता है।
- यह हड्डी में खनिजरण को बढ़ाता है और खनिज नोड्यूल के गठन को बढ़ावा देता है।
15. दूधिया घास का वैज्ञानिक नाम एयफोरबीए हिरात
कुल –
उपयोग :-
- अस्थिमा रोग होने पर दूधिया घास का काढ़ा बना कर पीने से अस्थिमा रोग में आराम मिलता है।
- खांसी जुखाम होने पर दूधी घास का चूर्ण बना कर सेवन करने से बहुत आराम मिलता है।
- दूधी घास ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करने में मदद करता है इसका सेवन करने से डायबिटीज की परेशानी में काफी लाभ मिलता है।
- यदि आप कील और मुहांसो से परेशांन है तो आप दूधिया घास के पौधे का पेस्ट बना कर चेहरे पर लगाए ऐसा करने से चेहरे वा त्वचा के मुहांसो की समस्या में राहत मिलती है।
- दूधिया घास का सेवन पेट दर्द और पेचिंस जैसी समस्या को ठीक करने में सकता है।
16. मीठी घास ( स्कोपरिअ दुलकीस )
कुल – ऑक्जैलिडेसी
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17. भुईँ आवंला ( पिल्लन्थुस निरूरी )
कुल – भूआमलकी एरन्ड
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उपयोग :-
- भुईँ आवंला पंचाग को चावल के साथ पीस कर घाव पर लगाने से घाव की सूजन ठीक हो जाती है।
- भुईँ आवंला के पत्तो का काढ़ा बना कर घाव धोने से भी घाव ठीक हो जाता है।
- इसकी पत्तियों को पीस कर नमक मिलाये और खुजली वाले स्थान पर लगाए इससे खुजली में काफी आराम मिलता है।
- भुईँ आवंलाके 50 ग्राम पत्ते को 200 ग्राम पानी में मिला कर काढ़ा बना ले और इससे कुल्ला करे कुल्ला करने से मुँह के छाले ठीक हो जाते है।
- 20 भुईँ आवंला के पत्तो को 200 ग्राम पानी में उबाल कर ठंडा करके पीने से पेट दर्द में आराम मिलता है।
- घी में पिप्पली, लाल चन्दन, भुईँ आवंला, सारिवा और अतीस आदि सामान पकाये और इसका सेवन करे इसका सेवन करने से बुखार में आराम में मिलता है।
18. घृतकुमारी (एलो वेरा )
कुल – ऐस्फोडिलसी
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उपयोग :-
- एलोवेरा से बेवजह बड़े वजन को कम करने में एलोवेरा का जूस बना कर पिए इस जूस से कुछ हद तक छुटकारा पाया जा सकता है।
- कब्ज की स्तिथि में एलोवेरा बेहद असरकारी होता है एलोवेरा जूस पीने से पेट साफ होता है जिससे कब्ज की समस्या को ठीक किया जा सकता है।
19. दूब घास ( कैनोडों डाकटयां )
कुल – पोएसी
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उपयोग :-
- दूब घास के प्रत्येक भाग में दस्त को रोकने के गुण होते है।
- दूब घास में पानी वाले अर्क में हाइपोग्लासेमिक और एंटीडायबिटिक प्रभाव होते है ये प्रभाव ब्लड ग्लूकोज के स्तर को कम कर सकते है जिससे मधुमेह की समस्या में सुधार हो सकता है।
- दूब घास में रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है।
- दूब घास खून साफ करने में मददगार होती है दूब घास का उपयोग फोक मेडिसिन की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है।
- दूब घास ह्रदय के लिए टॉनिक की तरह काम करती है इसलिए यह ह्रदय के लिए भी फायदेमंद होती है।
- दूब घास का उपयोग मिर्गी की स्तिथि में सुधार लाने के लिए भी किया जाता है।
20. पीपल ( फिक्स रेलिजिओसा )
कुल – मोरेसी
उपयोग :-
- हकलाने की समस्या होने पर पीपल के पके फल का चूर्ण बना ले और सुबह शाम नियमित रूप से इसका सेवन करने से हकलाने की समस्या को कम किया जा सकता है।
- पीपल के पेड़ की छाल का रस बना कर दिन में दो तीन बार सेवन करने से कुक्कर खांसी में आराम पाया जा सकता है।
- अत्यधिक प्याज लगने पर पीपल की छाल को कोयले के पानी में बुझा कर पानी को साफ कर ले उसके बाद इस पानी का सेवन करे से अत्यधिक प्यास लगने की समस्या को कम किया सकता है।
- पीपल के पके फल का सेवन करने से कप. पित्त रक्तदोष, जलन, उलटी और भूख की समस्या को ठीक करता है।
- पेट दर्द ठीक करने के लिए पीपल के दो पत्तो को बारीक़ पीस कर गुड़ के साथ मिला कर गोलिया बना ले और दिन में तीन से चार बार खाने से आराम मिलता है।
21. अमरुद ( पसीडियम गयवा )
कुल – मिटसी
उपयोग :-
- पेट दर्द होने पर पके हुए अमरुद को नमक के साथ मिला कर खाने से आराम मिलता है।
- बवासीर में 200 से 400 ग्राम अमरुद को सुबह खाली पेट खाने से बवासीर में आराम मिलता है।
- यदि आपके शरीर में कमजोरी है तो आप 21 दिन तक लगातार पके अमरुद को दूध में फेट कर छन्नी से छान कर सुबह खाली पेट पीने से ताकत आती है।
- अमरुद आपके शरीर में मेटाबॉलिज्म बढ़ाता है और वजन घटाने में मदद करता है।
22. लाजवंती ( मिमोसा पुडिका )
कुल – मिमोसा पुडिका
उपयोग :-
- लाजवंती की पत्तियों में अर्क और गैस्ट्रिक एसिड स्त्राव की परेशानी को कम करने का गुण होता है।
- लाजवंती के पौधे में अल्सर जैसी गंभीर समस्या को ठीक करने के गुण होते है।
- लाजवंती के पौधे में डायरिया की परेशानी दूर करने में फायदेमंद हो सकता है। डायरिया के इलाज के लिए इसकी पत्तिया के अर्क का इस्तेमाल किया जाता है।
- लाजवंती के पौधे में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है ऐसे में इसका इस्तेमाल शरीर में होने वाले सूजन को कम करने के लिए भी किया जा सकता है।
- लाजवंती पौधे के इस्तेमाल से लिवर से जुड़ी समस्याए भी कंट्रोल कर सकता है लिवर में जमी गंदगी को साफ करने के लिए लाजवंती तैयार अर्क का सेवन मरीज लाभकारी होता है।
23. पिपली ( पीपरलोगुं )
कुल – पाइपरेसी
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उपयोग :-
- यदि आपको नींद ना आने की समस्या है तो आप पीपली की जड़ का चूर्ण बना कर सुबह शाम 1 से 3 ग्राम चूर्ण को खाने से आपको अच्छी नींद आने के साथ आपकी पाचन क्रिया भी ठीक होगी।
- शरीर में कही भी चोट लगने पर या मोच आने पर
24. करेला ( ममोरडिका चरन्तीए )
कुल – कुकुरबिटेसी
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उपयोग -:
- करेले में उपस्तिथ एल्केनाइड और बिटर्स तत्व रक्त शोध का कार्य करते है।
- यदि आप मोटापे से परेशान है तो आप करेले का जूस बना कर उसमे नींबू का रस मिला कर रोज इसका खाली पेट सेवन करे।
- पथरी जैसे रोग होने पर करेले का जूस बना कर जरूर पीना चाहिए इससे आपकी पेशाब खुल कर बाहर आती और करेला आपकी पथरी गला देता है जिससे गुर्दे से निकलने में आसानी होती है।
25. अर्जुन ( टर्मिनलिए अर्जुन )
कुल – कलरेटसाइ
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उपयोग -:
- अर्जुन का छान का काढ़ा बना कर सुबह खाली पेट सेवन करने से बेट कोलेस्ट्रॉल कम होता है जिससे हमारा ह्रदय स्वस्थ रहता है।
- यदि आपके गले में खरास है और सीने में बलगम जैसा लगता है तो आप अर्जुन की छाल का काढ़ा बना कर जरूर पिए यह आपकी परेशानी को कम करेगा।
- अर्जुन की छाल में विशेष गुण होने के कारण यह कैंसर जैसे रोग में राहत दिलाने की क्षमता रखता है।
26. जामुन ( Engenia jambolana )
कुल – कुमिनि
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उपयोग -:
- जामुन में विटामिन c और आयरन अधिक मात्रा में होता है जो हमारी सेहत के लिए फायदेमंद होता है।
- जामुन खाने से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है।
- खाने से सांस से बीमारी जैसे अस्थिमा, दमा, फ़्लू और सर्दी जुखाम में राहत मिलती है।
- डायबिटीज की समस्या होने पर आप जामुन और इसके पत्तो का उपयोग कर सकते है यह डायबिटीज के लिए बहुत ही फायदेमंद है।
27. इमली ( टैमेरिन्डस इंडिका )Terminalia belerica
कुल – फैबासी
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उपयोग -:
- इमली का सेवन करने से खराब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम की जा सकती है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है।
- इमली में अधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन c और मिनरल्स पाए जाते है जो हमारी स्किन को सुन्दर बनाने का काम करती है।
- इमली एक ऐसा खट्टा फल है जिसका सेवन करके झड़ते हुए बालो को रोकती इसके सेवन से आपके बाल मजबूत हो जाते है।
28. बहेड़ा ( टेमिनलिए बेलेरिका )
कुल – कॉम्ब्रेटेसी
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उपयोग -:
- कई हानिकारक पदार्थो का सेवन करने से लिवर में सूजन आ जाती है ऐसे में यदि बहेड़ा का सेवन करते है तो आपके लिवर की सूजन कम हो जाएगी।
- बहेड़ा का सेवन मुख्य रूप से अल्सर और गैस्ट्राइटिस के उपाचर के लिए किया जाता है।
- यदि आपको ह्रदय से संबंधित बीमारी है तो आप बहेड़ा का सेवन कर वाहिका में जमे रक्त के थक्के को तोड़ कर ह्रदय से सबंधित बीमारी को कम कर सकते है।
- कुछ लोगो के मुँह से लार बहने की समस्या होती है ऐसे में यदि आप बहेड़ा को थोड़ी सी मात्रा म शक्कर मिला कर सेवन कर सकते है इससे आपकी लार बहने की समस्या खत्म हो जायेगी।
29. हर्रे ( टर्मिनलिए चेबुला )
कुल -कोम्ब्रेटेसी
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उपयोग -:
- उल्दी दस्त होने पर हर्रे का सेवन कर सकते है।
- बवासीर होने पर दर्द होता है या खून निकलता है तो हर्रे आपके लिए लाभकारी हो सकती है।
- यदि आपक ब्लड शुगर कम या ज्यादा है तो आप हर्रे का सेवन प्रत्येक दिन करके ब्लड शुगर लेबल को ठीक कर सकते है।
30. मेथी ( रटिगोनेल्ला फोएनुम )
कुल – फैबेसी
- सुबह खाली पेट भीगे हुए मेथी दाना का सेवन करने पंचन किया सही तरह कार्य करती है।
- स्तनपात करने वाली महिलाओ में दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए भी मेथी का उपयोग किया जाता।
- भीगे हुए मेथी को पीस कर बालो में लगाने से झड़ते हुए बालो को रोका जा सकता है।
31. बेर ( ज़िज्य्फुस जुजुबा )
कुल – रैमनैसी
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- यदि बेर का सेवन नियमित रूप से किया जाए तो यह हमारी प्रतिरक्षी प्रणाली को मजबूत बनाती है।
- बेर में कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है जो हरी हड्डियों को मजबूत बनाता है।
- बेर का सेवन करके आप बड़े हुए वजन और फैट को कम कर सकते है।
32. बांस ( बाम्बेक्स मलबरोक्युम )
कुल – ग्रामिनीई
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- यदि किसी कारण स मुँह में छले हो गए तो आप बांस के पत्तो का पेस्ट और शहद को मिला छालो पर लगा इससे आपके बहुत जल्द ठीक हो जायेगे।
- बांस में कूलिंग इफेक्ट पाए जाते है इसलिए शरीर को अंदर से ठंडक देने के लिए आप बांस सेवन कर सकते है।
- बांस में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट, मिनरल्स और विटामिन पाए जाते है जो आपके इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत बनाते है।
33. सेमल ( बॉम्बस मलबारिस्म )
कुल – मालवासी
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- डायरिया की समस्या होने पर सुबह खाली पेट सेमल के फूल की वासी पत्ती का सेवन करने से फायदा होता है।
- सेमल की छाल को पत्थर पर पीस कर घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है।
- इसकी छाल को पीस कर कील मुंहासो पर लगाने से आराम मिलता है।
34. पलाश ( बूटी फ्रोंडोसा )
कुल – फेबसाए
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- पलाश में मूत्रबर्धक गुण पाए जाते है इसलिए इसका उपयोग यूरिन बढ़ाने में कर सकते है।
- पलास के फूल का उपयोग ब्लड शुगर लेबल को कम करने में किया जाता है क्योकि इसमें एंटी-डायबिटिक गुण होता है।
- पलास के फूल से निकले रस का उपयोग लीवर सुरक्षा के लिए अच्छा होता है।
35. पत्थरचट्टा ( कोलेउस अरोमैटिक्स )
कुल – लैमिएसी
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- खुनी दस्त होने पर पत्थरचट्टा को पीस कर घी और थोड़े पीसे जीरे मिला कर सेवन करने से खुनी दस्त में आराम मिलता है।
- वेजाइना से जुड़ी किसी भी समस्या को ठीक करने के लिए इसके पत्तो को पानी में उबाल कर शहद मिला कर सेवन करने से खुजली, जलन वेजाइनल डिस्चार्ज जैसी समस्या में आराम मिलता है।
- पथरी की समस्या होने पर पत्थरचट्टा के पत्ते गुनगुने पानी के साथ सेवन करने के साथ रोज सुबह खाली पेट इसका सेवन करने से पथरी यूरिन के माध्यम से जल्दी निकल जाती है।
36. सरसों ( सिनपिस ग्लॉस )
कुल – क्रूसीफेरी
- सरसो के बीज का उपयोग खाने में करने से यह फेफड़ो को मजबूत बनाता है और कार्यक्षमता को बढ़ती है जिससे अस्थिमा जैसे रोग होने की समस्या का सामना नहीं करना पढता है।
- सरसो के बीज वजन कम करने में सहयोग करते है।
- सरसो के तेल का उपयोग खाने में करने से हमारे शरीर कोलिस्टोल जमा नहीं होता है जससे हार्टअटैक की समस्या नहीं होती।
37. पुनर्नवा ( बोइरहेविए डिफ्फुसा )
कुल – निक्टैजिनेसी
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उपयोग :-
- पुननर्वा का उपयोग मोटापा कम करने में किया जाता है।
- पुननर्वा का उपयोग लीवर को दुवारा जन्म और सफाई करने में किया जाता है
अब आप जान गए होंगे औषधीय पौधों के वानस्पतिक नाम और उनके फायदे।
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