पानी कैसे पियें

पानी pani धीरे-धीरे घूँट-घूँट करके पीना चाहिए ताकि वह शरीर के तापमान के अनुसार हो जाये। पानी हमेशा गिलास पर होंठ लगाकर घूँट -घूँट करके पीना चाहिए।

इसके विपरीत लोग गर्दन ऊँची करके ऊपर से पानी डालकर पीते है।  यह गलत है क्योंकि ऊपर से पानी पीने से पूरे फ़ूड पाइप में वायु बनती है और इससे वायु दोष उत्पन्न होता है।

अपच indigestion  , एसिडिटी , खट्टी डकार , जोड़ों में दर्द  , घुटनों में दर्द आदि की परेशानी होने लगती है।

कुछ लोग दो तीन घंटे तक पानी नहीं पीते और फिर एक साथ बहुत सारा पानी पीते हैं। यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता है। इसका किडनी और हृदय पर विपरीत असर होता है। पानी हर एक घंटे से एक – एक गिलास करके पीना चाहिये।

आजकल अधिकतर लोग आर ओ सिस्टम से फ़िल्टर हुआ पानी पीते हैं। इस पानी में साल्ट की मात्रा जरुरत से ज्यादा कम हो जाती है। इसकी पूर्ती के लिए फ़िल्टर हुए पानी को पानी को मिट्टी के घड़े में भरकर रखना चाहिए।

मिट्टी के घड़े की विशेषता होती है कि यह पानी में साल्ट कम हो तो बढ़ा सकता है और अधिक हो तो कम कर सकता है। साथ ही तापमान भी अनुकूल रखता है। फ्रिज का पानी अत्यधिक ठंडा होता है।

पानी को ताम्बे के बर्तन में रखने से शरीर में कॉपर तत्व की पूर्ती होती है। कफ प्रकृति वाले लोगों को तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से बहुत लाभ होता है।

नारियल पानी प्रकृति का अनमोल उपहार है। नारियल पानी से बहुत से पौष्टिक तत्व मिल सकते हैं। एसिडिटी में यह बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है।

1. सुबह उठने के बाद खाली पेट।

1. दिनभर में 8—10 गिलास जरूरी।