महाशिवरात्रि के भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले विष का पान करके था और देवताओ और राक्षिओ को विनास से बचाया था।
उफान के साथ उतनी देवी गंगा को इसी दिन अपनी जटाओ में समाया था।
महाशिवरात्रि के दिन ही शिव जी ने शिवलिंग का रूप लिया था।
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महाशिवरात्रि की दिनांक अंग्रेजी महीनों के हिसाब से हर साल बदलती रहती हैं। साल 2023 में महाशिवरात्रि का त्यौहार 21 फरवरी को मनाया जाएगा।
शिवरात्रि पर क्या हुआ था?
महाशिवरात्रि शिव की प्रिय तिथि है शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का महापर्व है। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है।
शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या अंतर है?
शिवरात्रि हर मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आती है लेकिन महाशिवरात्रि फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आती है।
महाशिवरात्रि की रात को नक्षत्रों की स्थिति, ध्यान के लिए बहुत शुभ मानी जाती है। इसलिए, लोगों को शिवरात्रि पर जागते रहने और ध्यान करने की सलाह दी जाती है।
शिवलिंग निराकार शिव का ही प्रतीक है। शिवलिंग पूजा में “बेल पत्र” अर्पण किया जाता है। शिवलिंग को “बेल पत्र” अर्पण करना अर्थात तीन गुण शिव तत्व को समर्पित कर देना |
महाशिवरात्रि के दिन को भगवान शिव के भक्त काफी हर्षोल्लास से सेलिब्रेट करते हैं। कुछ लोग इस दिन जागरण करवाते हैं तो कुछ लोग भगवान शिव की पूजा करवाते हैं। व
यौगिक परम्परा में भगवान शिव को एक ज्ञानी और वैरागी माना गया हैं। यह परम्परा शांति में विश्वास रखती हैं। इस वजह से महाशिवरात्रि आध्यात्मिक रूप से भी काफी खास हैं।
महा एक शक्ति है, एक रहस्यमय ऊर्जा जिससे सब जगत चलायमान है। वैज्ञानिक अभी तक इसे कोई नाम नहीं दे पाये हैं। हालांकि, प्राचीन काल के ऋषियों और संतों ने इस अज्ञात शक्ति को शिव कहा है।