गुड़ी पड़वा क्यों कैसे मानते हैं

By PUSHPA rECIPES

हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा कहते हैं। इस दिन से हिन्दू नव वर्ष आरंभ होता है। गुड़ी का अर्थ है विजय पताका। कहा जाता है कि इसी दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था।

गुड़ी पड़वा का अर्थ क्या है?

गुड़ी पड़वा त्यौहार क्यों मनाया जाता है?

इस दिन हिन्दु नववर्ष का आरम्भ होता है। 'गुड़ी' का अर्थ 'विजय पताका' होता है। कहते हैं शालिवाहन ने मिट्टी के सैनिकों की सेना से प्रभावी शत्रुओं (शक) का पराभव किया। इस विजय के प्रतीक रूप में शालिवाहन शक का प्रारंभ इसी दिन से होता है।

गुड़ी पड़वा कहाँ मनाया जाता है?

गुड़ी पड़वा आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में 'उगादि' और महाराष्ट्र में यह पर्व 'ग़ुड़ी पड़वा' के रूप में मनाया जाता है।

मान्यता है कि गुड़ी पड़वा से ही ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना हुई थी. वहीं इसी दिन से सतयुग की शुरुआत भी हुई थी. यदि कोी व्यक्ति गुड़ी पड़वा के दिन अपने घर के बाहर आम के पत्तों की तोरण लगाए तो बेहद ही शुभ मानते हैं. वहीं इस दिन मां दुर्गा और श्री राम भगवान की विधि-विधान से पूजा की जाती है.

गुड़ी पड़वा का महत्व

गुड़ी पड़वा के दिन क्या खाना चाहिए

पूरनपोली

Gudi Padwa 2022: आज मनाया जा रहा है गुड़ी पड़वा, जानें तिथि, मुहूर्त एवं धार्मिक महत्व

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी आज गुड़ी पड़वा मनाया जा रहा है.  इस दिन चैत्र नवरात्रि का भी प्रारंभ होता है. गुड़ी पड़वा से नया संवत्सर प्रारंभ होता है. गुड़ी पड़वा को उगादी और संवत्सर पडवो भी कहते हैं. इसे मुख्यत: महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा और आंध्र प्रदेश में मनाया जाता है.